ترجمة سورة الشمس

Elmir Kuliev - Russian translation

ترجمة معاني سورة الشمس باللغة الروسية من كتاب Elmir Kuliev - Russian translation.

Солнце(Аш-шамс)


Клянусь солнцем и его утренним сиянием!

Клянусь луной, когда она следует за ним!

Клянусь днем, когда он делает его (солнце) ясным!

Клянусь ночью, когда она скрывает его (солнце)!

Клянусь небом и Тем, Кто его воздвиг (или тем, как Он воздвиг его)!

Клянусь землей и Тем, Кто ее распростер (или тем, как Он распростер ее)!

Клянусь душой и Тем, Кто придал ей совершенный облик (или тем, как Он сделал ее облик совершенным)

и внушил ей порочность ее и богобоязненность!

Преуспел тот, кто очистил ее,

и понес урон тот, кто скрыл ее (опорочил, облек в несправедливость).

Самудяне сочли лжецом пророка Салиха из-за своего беззакония,

и тогда самый несчастный из них вызвался убить верблюдицу.

Посланник Аллаха (Салих) сказал им: «Берегите верблюдицу и питье ее!».

Они сочли его лжецом и подрезали ей поджилки, и за этот грех Господь их подверг их наказанию, которое было одинаковым для всех (или сровнял над ними землю).

И не опасался Он последствий этого.
سورة الشمس
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سورة (الشَّمْسِ) من السُّوَر المكية، وقد افتُتحت بقَسَمِ الله عز وجل بـ(الشَّمْس)، وبيَّنتْ قدرةَ الله عز وجل، وتصرُّفَه في هذا الكون، وما جبَلَ عليه النفوسَ من الخير والشرِّ، وطلبت السورة الكريمة البحثَ عن تزكيةِ هذه النفس؛ للوصول للمراتب العليا في الدارَينِ، وخُتِمت بضربِ المثَلِ لعذاب الله لثمودَ؛ ليعتبِرَ المشركون، ويستجيبوا لأمر الله ويُوحِّدوه.

ترتيبها المصحفي
91
نوعها
مكية
ألفاظها
54
ترتيب نزولها
26
العد المدني الأول
16
العد المدني الأخير
16
العد البصري
15
العد الكوفي
15
العد الشامي
15

* سورة (الشَّمْسِ):

سُمِّيت سورة (الشَّمْسِ) بهذا الاسم؛ لافتتاحها بقَسَمِ الله عز وجل بـ(الشمس).

1. القَسَم العظيم وجوابه (١-١٠).

2. مثال مضروب (١١-١٥).

ينظر: "التفسير الموضوعي لسور القرآن الكريم" لمجموعة من العلماء (9 /149).

يقول ابنُ عاشور رحمه الله عن مقاصدها: «تهديدُ المشركين بأنهم يوشك أن يصيبَهم عذابٌ بإشراكهم، وتكذيبِهم برسالة محمد صلى الله عليه وسلم؛ كما أصاب ثمودًا بإشراكهم وعُتُوِّهم على رسول الله صلى الله عليه وسلم الذي دعاهم إلى التوحيد.
وقُدِّم لذلك تأكيدُ الخبر بالقَسَم بأشياءَ معظَّمة، وذُكِر من أحوالها ما هو دليلٌ على بديعِ صُنْعِ الله تعالى الذي لا يشاركه فيه غيرُه؛ فهو دليلٌ على أنه المنفرِد بالإلهية، والذي لا يستحِقُّ غيرُه الإلهيةَ، وخاصةً أحوالَ النفوس ومراتبها في مسالك الهدى والضَّلال، والسعادة والشقاء». "التحرير والتنوير" لابن عاشور (30 /365).