ترجمة سورة الإنشقاق

الترجمة الهندية

ترجمة معاني سورة الإنشقاق باللغة الهندية من كتاب الترجمة الهندية.
من تأليف: مولانا عزيز الحق العمري .

जब आकाश फट जायेगा।
और अपने पालनहार की सुनेगा और यही उसे करना भी चाहिये।
तथा जब धरती फैला दी जायेगी।
और जो उसके भीतर है, फैंक देगी तथा ख़ाली हो जायेगी।
और अपने पालनहार की सुनेगी और यही उसे करना भी चाहिये।[1]
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1. (1-5) इन आयतों में प्रलय के समय आकाश एवं धरती में जो हलचल होगी उस का चित्रण करते हुये यह बताया गया है कि इस विश्व के विधाता के आज्ञानुसार यह आकाश और धरती कार्यरत हैं और प्रलय के समय भी उसी की आज्ञा का पालन करेंगे। धरती को फैलाने का अर्थ यह है कि पर्वत आदि खण्ड-खण्ड हो कर समस्त भूमि चौरस कर दी जायेगी।
हे इन्सान! वस्तुतः, तू अपने पालनहार से मिलने के लिए परिश्रम कर रहा है और तू उससे अवश्य मिलेगा।
फिर जिस किसी को उसका कर्मपत्र दाहिने हाथ में दिया जायेगा।
तो उसका सरल ह़िसाब लिया जायेगा।
तथा वह अपनों में प्रसन्न होकर वापस जायेगा।
और जिन्हें उनका कर्मपत्र बायें हाथ में दिया जायेगा।
तो वह विनाश (मृत्यु) को पुकारेगा।
तथा नरक में जायेगा।
वह अपनों में प्रसन्न रहता था।
उसने सोचा था कि कभी पलट कर नहीं आयेगा।
क्यों नहीं? निश्चय उसका पालनहार उसे देख रहा था।[1]
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1. (6-15) इन आयतों में इन्सान को सावधान किया गया है कि तुझे भी अपने पालनहार से मिलना है। और धीरे-धीरे उसी की ओर जा रहा है। वहाँ अपने कर्मानुसार जिसे दायें हाथ में कर्म पत्र मिलेगा वह अपनों से प्रसन्न हो कर मिलेगा। और जिस को बायें हाथ में कर्म पत्र दिया जायेगा तो वह विनाश को पुकारेगा। यह वही होगा जिस ने मायामोह में क़ुर्आन को नकार दिया था। और सोचा कि इस संसारिक जीवन के पश्चात कोई जीवन नहीं आयेगा।
मैं सन्ध्या लालिमा की शपथ लेता हूँ!
तथा रात की और जिसे वह एकत्र करे!
तथा चाँद की, जब वह पूरा हो जाये।
फिर तुम अवश्य एक दशा से दूसरी दशा में सवार होगे।
फिर क्यों वे विश्वास नहीं करते?
और जब उनके पास क़ुर्आन पढ़ा जाता है, तो सज्दा नहीं करते।[1]
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1. (16-21) इन आयतों में विश्व के कुछ लक्षणों को साक्ष्य स्वरूप परस्तुत कर के सावधान किया गया है कि जिस प्रकार यह विश्व तीन स्थितियों से गुज़रता है इसी प्रकार तुम्हें भी तीन स्थितियों से गुज़रना हैः संसारिक जीवन, फिर मरण, फिर परलोक का स्थायी जीवन जिस का सुख दुःख संसारिक कर्मों के आधार पर होगा।
बल्कि काफ़िर तो उसे झुठलाते हैं।
और अल्लाह उनके विचारों को भली-भाँति जानता है।
अतः, उन्हें दुःखदायी यातना की शुभ सूचना दे दो।
परन्तु, जो ईमान लाये तथा सदाचार किये, उनके लिए समाप्त न होने वाला बदला है।[1]
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1. (22-25) इन आयतों में उन के लिये चेतावनी है जो इन स्वभाविक साक्ष्यों के होते हुये क़ुर्आन को न मानने पर अड़े हुये हैं। और उन के लिये शूभ सूचना है जो इसे मान कर विश्वास (ईमान) तथा सुकर्म की राह पर अग्रसर हैं।
سورة الإنشقاق
معلومات السورة
الكتب
الفتاوى
الأقوال
التفسيرات

سورة (الانشقاق) من السُّوَر المكية، نزلت بعد سورة (الانفطار)، وقد افتُتحت ببيان ما يسبق يومَ القيامة من أهوالٍ، وجاءت على ذكرِ أحوال الناس عند لقاء الله، وفي جزائهم وتقسيمهم إلى صِنْفَينِ: صنفٍ آمن بهذا اليوم فهو من أهل الجنان، وصنفٍ كذَّب به فهو من أهل النيران.

ترتيبها المصحفي
84
نوعها
مكية
ألفاظها
109
ترتيب نزولها
83
العد المدني الأول
25
العد المدني الأخير
25
العد البصري
23
العد الكوفي
25
العد الشامي
23

* سورة (الانشقاق):

سُمِّيت سورة (الانشقاق) بهذا الاسم؛ لافتتاحها بقوله تعالى: {إِذَا اْلسَّمَآءُ اْنشَقَّتْ} [الانشقاق: 1].

* سورة (الانشقاق) من السُّوَر التي وصفت أحداثَ يوم القيامة بدقة؛ لذا كان النبيُّ صلى الله عليه وسلم يدعو الصحابةَ إلى قراءتها:

عن عبدِ اللهِ بن عُمَرَ رضي الله عنهما، قال: قال رسولُ اللهِ صلى الله عليه وسلم: «مَن سَرَّه أن ينظُرَ إلى يومِ القيامةِ كأنَّه رأيَ عينٍ، فَلْيَقرأْ: {إِذَا اْلشَّمْسُ كُوِّرَتْ}، و{إِذَا اْلسَّمَآءُ اْنفَطَرَتْ}، و{إِذَا اْلسَّمَآءُ اْنشَقَّتْ}». أخرجه الترمذي (٣٣٣٣).

1. من أهوال يوم القيامة (١-٥).

2. أحوال الإنسان عند لقاء ربه (٧-١٥).

3. أحوال الإنسان في هذه الحياة (١٦-٢٥).

ينظر: "التفسير الموضوعي لسور القرآن الكريم" لمجموعة من العلماء (9 /75).

إثباتُ هولِ يوم القيامة، وما يسبقه من أحداث، وتنعيمُ اللهِ أولياءَه يوم الحساب؛ لأنَّهم صدَّقوا بهذا اليوم وآمَنوا به، وعقاب الله لمن كفَر بهذا اليوم؛ لأنهم كانوا لا يُقِرُّون بالبعث والعَرْضِ على الملك الذي أوجَدهم وربَّاهم؛ كما يَعرِض الملوك عبيدَهم، ويحكُمون بينهم؛ فينقسمون إلى أهل ثواب، وأهل عقاب، واسمها (الانشقاق) دالٌّ على ذلك.

ينظر: "مصاعد النظر للإشراف على مقاصد السور" للبقاعي (3 /172).